अरहर का उकठा रोग, कारण तथा बचाव

अरहर का उकठा रोग

उकठा रोग अरहर में लगने वाली सबसे सामान्य एवं गंभीर समस्या है। इस बीमारी के लगते ही अरहर का खड़ा पौधा देखते देखते ही सूख के मर जाता है। अरहर में लगने वाली यह बीमारी एक कवक के कारण होती है जिसका नाम Fusarium oxysporum है।

उकठा रोग ग्रस्त अरहर

यह कवक प्रायः मृदा में पाया जाता है। लेकिन अरहर की फसल लगने पर जैसे ही मौसम ठंडा होने लगता है, यह रोगजनक तेज़ी से फैलता है और अरहर की जड़ से होते हुए तने तक पहुंच जाता है। अरहर के तने में यह पानी को ऊपर पहुँचाने वाली "जाइलम वाहिकाओं" को बंद कर देता है। जाइलम वाहिकाओं के बंद हो जाने के कारण पौधा पानी ऊपर खींच नहीं पता है। अतः पौधे में पानी की कमी हो जाती है और देखते ही देखते खड़ा पौधा सूख जाता है, जिसे "wilting" कहते हैं। पौधे की यह दशा स्थाई होती है तथा इसको उल्टा नहीं जा सकता।

अरहर को उकठा रोग से बचाने के उपाय:

  • फसल चक्र का पालन कर जिस खेत में उकठा रोग लग जाए, उसमे कुछ साल अरहर की खेती न कर किसी और फसल को उगाना चाहिए।
  • अरहर की प्रतिरोधी किस्में उगानी चाहिए। जिसकी लिस्ट यहाँ पर उपलब्ध है। 
  • फफूँदनाशक "bavistin" को एक ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर अरहर के जड़ में डालना चाहिए।
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